निपुण भारत मिशन के माध्यम से भारत की शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन सभी बच्चों के लिए बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान को सुनिश्चित करना।
जैसे-जैसे भारत निपुण भारत मिशन के तहत मिली शुरुआती सफलताओं को आगे बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है, अब समय आ गया है कि व्यापक और स्थायी प्रभाव के लिए एक और अधिक साहसिक रोडमैप तैयार किया जाए। | iStock/Getty Images
इस जुलाई में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के पाँच वर्ष पूरे हो रहे हैं—एक ऐसा सुधारात्मक प्रयास जिसने भारत की शिक्षा प्रणाली को रूपांतरित करने की दिशा में नई राह दिखाई। इन पाँच वर्षों में न सिर्फ शैक्षिक दृष्टिकोण बदले हैं बल्कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) ने कक्षाओं में प्रवेश किया है और दुनिया के अग्रणी शिक्षण संस्थानों ने भारत में अपने परिसर स्थापित किए हैं। लेकिन इन सुर्खियों से दूर बच्चों की शिक्षा में एक गहरा और स्थिर परिवर्तन आकार ले रहा है—यह है भारत के निपुण भारत मिशन की कहानी। जुलाई 2021 में शुरू किया गया ‘निपुण भारत मिशन’ राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के बुनियादी शिक्षण के विज़न को ज़मीनी स्तर पर लागू करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम रहा। इसका उद्देश्य है कि भारत का हर बच्चा कक्षा 2 तक समझ के साथ पढ़ना और बुनियादी गणित करना सीख सके। वार्षिक ₹2,700 करोड़ के बजट के साथ यह मिशन आज 6 लाख से अधिक स्कूलों में 5 करोड़ से अधिक बच्चों और 17 लाख शिक्षकों तक पहुँच चुका है जिससे यह दुनिया का सबसे बड़ा बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान (FLN) कार्यक्रम बन गया है। यह न केवल भारत की प्रतिबद्धता का प्रमाण है बल्कि वैश्विक स्तर पर यह दर्शाता है कि सभी बच्चों के लिए FLN को प्राथमिकता देने और उस पर प्रभावी कार्यवाही करने का आदर्श क्या होना चाहिए।